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    उधर पैसेंजर्स परेशान, इधर भरभराकर गिरे Indigo के शेयर; एयरपोर्ट्स पर त्राहिमाम

    13 hours ago

    Indigo Share: इंडिगो (Indigo) संकट का असर अब उसके शेयरों पर भी देखने को मिल रहा है. इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयर पिछले चार ट्रेडिंग सेशन में 7 परसेंट से ज्यादा गिर चुके हैं. ऑपरेशनल संकट से जूझ रही इंडिगो की चार दिन में 1700 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी है.

    शेयर का क्या है हाल? 

    आलम यह है कि शुक्रवार को BSE पर इंडिगो के शेयर 1.22 परसेंट गिरकर 5,371.30 रुपये पर बंद हुए, जबकि इंट्राडे में यह 3.15 परसेंट फिसलकर 5,266 रुपये पर आ गया था. NSE पर भी यह 1.27 परसेंट लुढ़ककर 5,367.50 रुपये पर बंद हुआ.

    1 दिसंबर से कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 16,190.64 करोड़ रुपये से घटकर अब 2,07,649.14 करोड़ रुपये पर आ गया है. पिछले एक साल में बेशक इंडिगो के शेयर में 16.79 परसेंट का उछाल आया है, लेकिन पिछले एक महीने में स्टॉक में 5.72 परसेंट की गिरावट भी आई है और फ्लाइट कैंसलेशन के संकट के बीच यह 8.76 परसेंट नीचे ट्रेड कर रहा है. 

    आज भी 350 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल

    इंडिगो के पास लगभग दो-तिहाई डोमेस्टिक ट्रैफिक है. ऐसे में लगातार चौथे दिन तक इसका नेटवर्क बाधित रहने से एयर ट्रैवल सिस्टम पूरी तरह से चरमरा गई है. अभी तक हालात सामान्य होता नहीं नजर आ रहा है और देश के कई सारे एयरपोर्ट्स में 350 से ज्यादा फ्लाइट्स आज भी कैंसिल कर दिए गए हैं. ऐसे में लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई है, लोग परेशान और भड़के हुए हैं.

    क्या है परेशानी की वजह?

    यह संकट नए पायलट फ्लाइंग-टाइम रेगुलेशन की वजह से है. इसके तहत, पायलटों के लिए हफ्ते में दो दिन का वीक ऑफ अनिवार्य कर दिया गया. यानी कि हफ्ते में उनके आराम की समयसीमा को अब 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिया गया है. इसके अलावा, नाइट ड्यूटी 12 AM–6 AM तक होगी और  नाइट शिफ्ट में उड़ान का समय 8 घंटे और ओवरऑल ड्यूटी का समय 10 घंटे तय किया गया.

    इस नए नियम का मकसद पायलटों को अधिक आराम दिलाना और हवाई यात्रा की सुरक्षा को बढ़ाना है. DGCA ने 1 नवंबर से क्रू मेंबर्स और पायलटों के काम से जुड़े नियमों में यह बदलाव किया था. इधर, इंडिगो ने बड़े पैमाने पर कैंसिलेशन की वजह 'गलतफहमी' और 'प्लानिंग में कमी' को बताया है. CEO पीटर एल्बर्स ने शुक्रवार को कहा कि 10 से 15 दिसंबर के बीच ऑपरेशन नॉर्मल होने की उम्मीद है. 

    सितंबर तिमाही में इंडिगो के नतीजे

    भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन ऑपरेटर इंडिगो को कारोबारी साल 2025-26 की जुलाई-सितंबर तिमाही में तगड़ा नुकसान हुआ. इस दौरान इसका नेट लॉस 161 परसेंट बढ़कर 2,582 करोड़ हो गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 987 करोड़ था. हालांकि, एयरलाइन के कोर ऑपरेशन से रेवेन्यू में दूसरी तिमाही में 9.3 परसेंट का उछाल आया और यह 18,555 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 16,969 करोड़ था.  

    दूसरी तिमाही में एयरलाइन के नतीजे पर फॉरेन एक्सचेंज कॉस्ट का सबसे ज्यादा असर पड़ा, जुलाई-सितंबर तिमाही में दस गुना से ज्यादा बढ़कर 2,892 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में यह 240 करोड़ रुपये थी. इससे तिमाही में टोटल खर्च के बढ़ जाने से रेवेन्यू बढ़ा, लेकिन नेट लॉस में भी इजाफा हुआ. 

     

     

     

     

     

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