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    India-Russia Friendship Dhruv Tara: ध्रुव तारा क्या है, पीएम मोदी ने जिसकी तुलना भारत-रूस के मित्रता से की

    1 day ago

    India-Russia Friendship Dhruv Tara: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर भारत आए. पीएम मोदी और पुतिन के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता ने भारत-रूस संबंधों को एक नई गति दी है. रूस और भारत के बीच कई मुद्दों पर समझौते भी हुए.

    पीएम मोदी ने अपने बयान में भारत-रूस की मित्रता को ध्रुव तारे की तरह स्थिर और भरोसेमंद बताया, जोकि दशकों से अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूत बना हुआ है. लेकिन रूस-भारत की दोस्ती के लिए ध्रुव तारे का जिक्र क्यों किया. क्या आप जानते हैं ध्रुव तारे (pole star) की असली कहानी.

    भारतीय संस्कृति में अक्सर महान लोगों के लिए ध्रुव तारा का उदाहरण दिया जाता है. आज जब प्रधानमंत्री ने रूस-भारत की दोस्ती का उदाहरण देते हुए इस ध्रुव तारे का जिक्र किया तो यह एक बार फिर से चर्चा में आ गया. आइए जानते हैं इस तारे के बारे में.

    क्या है ध्रुव तारा (What is Pole Star)

    ध्रुव तारा भारतीय समाज के किस्से कहानियों का हिस्सा रहा है. हिंदू धर्म में इसकी पौराणिक कथा राजा उतान्पाद और सुनीति के संतान बालक ध्रुव से जुड़ी है. इसके साथ ही खगोल विज्ञान में भी ध्रुव तारे को महत्वपूर्ण बताया गया है. कहा जाता है कि पुराने समय में नाविक स्थिर रोशन तारे को देखर अपनी दिशा तय किया करते थे. आपने अपनी दादी-नानी से भी ध्रुव तारे की कहानी जरूर सुनी होगी. इस प्रकार से धुव तारा सदियों से भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है.

    ध्रुव तारा की पौराणिक कथा (लगभग 100 शब्द)

    राजा उतान्पाद और सुनीति के पुत्र ध्रुव को सौतेली मां सुरुचि ने एक दिन पिता की गोद में बैठने से रोक दिया, जिससे ध्रुव बहुत आहत हुआ. मां सुनीति ने उसे बताया कि सच्चा सहारा भगवान नारायण हैं. ध्रुव उन्हें पाने के लिए उत्तर दिशा में तपस्या करने निकल पड़ा. नारदमुनि के बताए मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का छह माह तक कठोर जप किया. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए. ध्रुव ने बताया कि, मुझे मेरे पिता की गोद में बैठने नहीं दिया जाता. मेरी मां कहती है कि, संपूर्ण जगत के पिता आप ही है. इसलिए मैं आपकी गोद में बैठना चाहता हूं. तब भगवान नारायण बोले- ‘आकाश ही मेरी गोद है मैं तुम्हे हमेशा के लिए अपनी गोद में स्थान देता हूं.’ इस तरह भगवान नारायण ने ध्रुव को आकाश में स्थायी स्थान दिया. ध्रुव तारा इसी का प्रतीक है, जो कभी नहीं हिलता. सात ऋषियों को भी उसके संरक्षण हेतु पास का स्थान मिला.

    खगोल विज्ञान के नजरिए से ध्रुव तारा

    विज्ञान में ध्रुव तारा को ‘अल्फ़ा उर्साए माइनोरिस’ कहा जाता है, जोकि तारा मंडल का 45 वां सबसे रोशन तारा है. वहीं अंग्रेजी में इसे ‘पोल स्टार’ कहते हैं. ध्रुव तारा पृथ्वी से लगभग 390 प्रकाशपर्व की दूरी पर है. पृथ्वी से ध्रुव भले ही एक छोटा सा तारा प्रतीत होता है, लेकिन यह सूर्य से भी बड़ा है. विज्ञान के अनुसार, ध्रुव तारे का व्यास सूर्य से 30 गुना, भार में 7.50 गुना और चमक में 22 सौ गुना अधिक है.  

    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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