SEARCH

    Language Settings
    Select Website Language

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    dailyadda

    Digital Drug Promotion: एंटीबायोटिक्स और प्रिस्किप्शन वाली दवाओं के प्रचार पर क्यों लग रही रोक, इससे आम लोगों को कितना खतरा?

    5 days ago

    Antimicrobial Resistance India: भारत के टॉप दवा नियामक के तहत गठित एक एक्सपर्ट कमेटी ने प्रिस्क्रिप्शन-ओनली और हाई-रिस्क दवाओं के विज्ञापनों को रोकने के लिए मौजूदा नियमों में बदलाव की सिफारिश की है. पिछले महीने हुई एक बैठक में, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की ड्रग कंसल्टेटिव कमेटी ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दवाओं के बढ़ते और ज्यादातर बिना नियंत्रण वाले प्रमोशन पर गंभीर चिंता जताई थी.  इन दवाओं में लाइफ-सेविंग इंजेक्टेबल्स, एंटीबायोटिक्स, हार्मोनल थेरेपी, साइकोट्रोपिक मेडिसिन, कैंसर का इलाज और नारकोटिक्स शामिल हैं.

    किन दवाओं पर मंजूरी के बिना रोक?

    इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान ड्रग-लाइसेंस शर्तें पहले से ही शेड्यूल H, H1 और X में सूचीबद्ध दवाओं के विज्ञापन पर केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना रोक लगाती हैं. एक CDSCO अधिकारी ने बताया ने बताया कि यह नियम दवा बेचने या वितरित करने वाले लाइसेंसधारकों को स्पष्ट रूप से कवर नहीं करता और इसी कमी का मार्केटर्स फायदा उठा रहे हैं.

    सोशल मीडिया पर बढ़ा रहीं विज्ञापन

    मामला ई-फार्मेसी प्लेटफॉर्म्स पर और ज्यादा गंभीर हुआ है. राज्य के नियामकों ने बार-बार शिकायत की है कि कई प्लेटफॉर्म प्रिस्क्रिप्शन-ओनली दवाओं का तेजी प्रचार कर रहे हैं, वो भी भारी छूट के साथ, ताकि ग्राहकों को लुभाया जा सके. अधिकारियों के मुताबिक, सोशल मीडिया चैनल्स पर भी ऐसी प्रमोशन तेजी से बढ़ी हैं, जिससे एंटीबायोटिक के दुरुपयोग और खुद से दवा लेने जैसी समस्याएं और बिगड़ रही हैं, जो पहले से ही गंभीर पब्लिक-हेल्थ चुनौती हैं.

    अब बिना मांगे ऐसे प्रमोशनल मैसेज भेज रहे हैं

    हाल में नई GLP-1 वेट-लॉस दवाओं जैसे मौंजारो और वेगोवी के प्रमोशनल टेक्स्ट मैसेज की शिकायतें सामने आई हैं, जबकि ये दवाएं सिर्फ स्पेशलिस्ट डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन पर ही दी जानी चाहिए.

     CDSCO की मंजूरी अनिवार्य 

    एंटीबायोटिक के बढ़ते दुरुपयोग पर काबू पाने के लिए CDSCO हर नए एंटीबायोटिक यहां तक कि जिनकी सक्रिय सामग्री पहले से स्वीकृत है, इसको भारत में लॉन्च करने से पहले अपनी मंजूरी अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है. यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस को लेकर देश और दुनिया दोनों जगह चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं. एक्सपर्ट पैनल ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी एंटीमाइक्रोबियल दवाओं को न्यू ड्रग की परिभाषा में लाया जाए, जैसा कि न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 में है. इसका मतलब है कि हर एंटीबायोटिक, चाहे पहले कभी स्वीकृत ही क्यों न हो उनको निर्माण और मार्केटिंग से पहले CDSCO की मंजूरी लेनी पड़ सकती है.

    इसे भी पढ़ें- Prem Chopra: कितनी खतरनाक बीमारी है सीवियर ऑर्टिक स्टेनोसिस, जिससे जूझ रहे प्रेम चोपड़ा?

    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

    Click here to Read More
    Previous Article
    Crypto Market Update: क्रिप्टो निवेशकों में बढ़ी सतर्कता, अमेरिकी फेड मीडिंग का दिख रहा असर
    Next Article
    बिहार में टीचर्स को पहले किस तारीख पर मिलती थी सैलरी, अब नियमों में क्यों हुआ बदलाव?

    Related लाइफस्टाइल Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment