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    Unnao Rape Case: दोषी कुलदीप सेंगर की जमानत पर SC में बोली सीबीआई- कोई कॉन्स्टेबल या सैन्य अधिकारी ड्यूटी पर ऐसा करे तो...

    19 hours ago

    उन्नाव रेप केस के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सोमवार (29 दिसंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी गई थी. हाईकोर्ट के फैसले का सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने कड़ा विरोध किया.

    मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने दलील दी और कहा,  'उदाहरण के तौर पर, जब कोई कॉन्स्टेबल ड्यूटी के दौरान ऐसा कृत्य करता है तो क्या वह दोषी होगा? उसी प्रकार, अगर कोई सेना का अधिकारी ड्यूटी पर रहते हुए ऐसा कृत्य करता है तो क्या वह गंभीर यौन उत्पीड़न का दोषी होगा? इस अधिनियम में लोक सेवक की परिभाषा नहीं दी गई है और इसे उधार लेकर परिभाषित किया गया है, यानी आईपीसी में जो कहा गया है वही परिभाषा होगी, लेकिन परिभाषा संदर्भ के अनुसार होनी चाहिए, जब तक कि संदर्भ अन्यथा न बताए.' 

    एसजी की इस दलील पर सीजेआई सूर्यकांत ने पूछा, 'तो आपका कहना है कि पब्लिक सर्वेंट वह व्यक्ति है जो उस समय प्रभुत्वशाली स्थिति में होता है. यानी जब कोई विधायक से मदद के लिए आता है, तो किया गया कृत्य प्रभुत्वशाली स्थिति में होता है और ऐसा कोई भी कृत्य गंभीर अपराध माना जाएगा. यही आपका तर्क है?'

    हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश विद्यनाथन शंकर की बेंच ने 23 दिंसबर के फैसले में कहा था कि सेंगर को पोक्सो के सेक्शन 5 (c) और आईपीसी के सेक्शन 376(2)(b) के तहत पब्लिक सर्वेंट के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि सेंगर पोक्सो के सेक्शन 5(p) के अंतर्गत नहीं आते हैं, जो विश्वास या अधिकार के पद पर बैठे व्यक्ति को गंभीर यौन उत्पीड़न के लिए दंडित करता है.

    सीबीआई ने हाईकोर्ट के इस तर्क को चुनौती दी है कि सेंगर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता है क्योंकि वह एक पब्लिक सर्वेंट नहीं था. सीबीआई का इस पर कहना है कि विधायक एक संवैधानिक पद है, जो ऐसे कर्तव्यों का निर्वहन करता है, जिनमें राज्य और व्यापक समुदाय का हित होता है. साल 2017 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने रेप का आरोप लगाया था.

    शुरुआत में पुलिस ने उसकी एफआईआर दर्ज करने  से इनकार कर दिया और परिवार को धमकियां मिलीं. 2018 में पीड़िता ने लखनऊ में 5 कालीदास मार्ग स्थित सीएम आवास के बाहर आत्मदाह की कोशिश की, जिसके बाद देशव्यापी प्रदर्शनों और मीडिया में विरोध के चलते मामला सीबीआई को सौंपा गया.

    सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई के लिए केस को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया और 2019 में दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को बलात्कार का दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई.  सेंगर को पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत और गवाहों को प्रभावित करने के मामलों में भी दोषी ठहराया है और इस मामले में उसे 10 साल की सजा सुनाई गई है.

     

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