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    क्रिकेटर अर्शदीप ने 18 सेकेंड में दिखाई स्ट्रगल:साइकिल से मर्सिडीज और आलीशान कोठी का सफर बताया; नाम दिया- डे वन से वन डे

    3 days ago

    इंडियन क्रिकेटर अर्शदीप सिंह ने टीम इंडिया के मेन बॉलर और क्रिकेट स्टार बनने के लिए लंबा स्ट्रगल किया। क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए एकेडमी तक वह साइकिल से रोजाना 20 किलोमीटर जाते थे। हालात देख परिवार उन्हें क्रिकेट छोड़ अच्छे फ्यूचर के लिए विदेश भेजने की तैयारी में था। हालांकि कामयाब होने के बाद अब उन्होंने साढ़े 3 करोड़ रुपए की मर्सिडीज और मोहाली में आलीशान घर खरीद लिया। अपनी जिंदगी के इस सफर को अर्शदीप ने 18 सेकेंड के वीडियो में शेयर किया है। अर्शदीप ने इसमें अपने पुराने और नए दिन को दिखाया है। अर्शदीप अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप टीम का भी हिस्सा हैं। अर्शदीप ने 18 सेकेंड के वीडियो में क्या दिखाया अर्शदीप ने वीडियो को 'शुक्र' टाइटल दिया है। इसमें उन्होंने पहले अपनी पुरानी वीडियो क्लिप लगाई है। जिसमें वह साइकिल चलाकर एकेडमी जा रहे हैं। फिर साइकिल में एकेडमी पहुंचते हैं। इसे उन्होंने डे वन का नाम दिया है। इसके बाद उन्होंने अपना आलीशान घर और उसके बाहर खड़ी मर्सिडीज के साथ अपनी वीडियो क्लिप डाली है। जिसे उन्होंने वन डे का नाम दिया है। 13 लाख ने पोस्ट को किया लाइक इस पोस्ट को एक दिन में 13 लाख लोगों ने लाइक किया है। 3.7 हजार लोगों ने इसे शेयर किया है, जबकि 2.5 हजार लोगों ने इसे कमेंट किया है। वहीं, उनके फैंस ने उन्हें सुझाव भी दिए हैं। हेमंत ने लिखा है- दोस्त, वाइड बॉल गिरने से बौखलाया मत जाओ। अपने तरकश में स्लोवर वन मिला लो… और कामयाब हो जाओगे!इसी तरह मोहन सिंह ने लिखा है- किसी ने सच ही कहा है! मेहनत एक दिन रंग लाती है। अर्शदीप का क्रिकेट सफर काफी संघर्ष भरा रहा… पिता ने पहचाना हुनर, मां ने लगाई ताकत अर्शदीप सिंह का परिवार पंजाब के खरड़ से है। उनके पिता दर्शन सिंह एक निजी कंपनी में काम करते हैं। अर्शदीप का जन्म जब हुआ, उस समय उनके पिता की पोस्टिंग मध्य प्रदेश में थी। अर्शदीप भी एक गेंदबाज हैं। पिता ने क्रिकेट के प्रति उनके जुनून को पहचाना। उन्होंने उन्हें पार्क में बॉलिंग करते देखा। फिर वे उन्हें 13 साल की उम्र में चंडीगढ़ के सेक्टर-36 स्थित गुरु नानक देव स्कूल की क्रिकेट अकादमी में ले गए, जहां से उनकी कोचिंग शुरू हुई। अर्शदीप के पिता बाहर पोस्टेड थे। ऐसे में सुबह छह बजे खरड़ से चंडीगढ़ के ग्राउंड तक पहुंचना आसान नहीं था, क्योंकि यह करीब 15 किलोमीटर का सफर था। ऐसे में अर्शदीप सिंह की मां उन्हें सुबह साइकिल पर लेकर आती थीं और वहीं रुकती थीं। स्कूल के बाद उन्हें पार्क में बिठाती थीं और खाना आदि खिलाती थीं। इसके बाद फिर से अकादमी भेजती थीं और शाम को घर ले जाती थीं। शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। परिवार ने कनाडा भेजने की कर ली थी तैयारी अर्शदीप सिंह का पंजाब टीम में चयन नहीं हो रहा था, जिससे परिवार के लोग चिंतित थे। ऐसे में माता-पिता ने उन्हें कनाडा, उनके भाई के पास भेजने का फैसला किया। उन्होंने इस बारे में उनके कोच से बात की। कोच ने जब अर्शदीप से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने कहा कि वह क्रिकेट खेलना चाहते हैं। कोच की सलाह पर अर्शदीप ने यह बात अपने परिवार को बताई। परिवार के लोगों ने उन्हें एक साल का समय दिया। इसके बाद अर्शदीप ने ग्राउंड पर जमकर मेहनत की और फिर उनका चयन पंजाब की अंडर-19 टीम में हो गया। इसके बाद उन्होंने अंडर-19 विश्व कप खेला और फिर यह सफर लगातार चलता रहा। वेरिएशन को पहचाना और बन गए बादशाह अर्शदीप सिंह जब वर्ल्ड कप U-19 खेल रहे थे, तब भी उनकी परेशानियां कम नहीं थीं। क्योंकि स्पीड के मामले में उनके सामने तीन गेंदबाज थे। इसलिए उन्होंने वेरिएशन पर काम करना शुरू किया। डेथ ओवर में वह यॉर्कर अच्छी फेंकते थे, इसलिए उन्होंने यॉर्कर पर काम किया। स्लो ओवर और लाइन और लेंथ पर काम किया। वेरिएशन की वजह से ही उन्हें आईपीएल में चुना गया।
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