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    जो जांच या ट्रायल से बचकर भाग जाते हैं, उनके खिलाफ कैसे हो एक्शन? ED की कॉन्फ्रेंस में हुई चर्चा

    6 days ago

    ED ने 5 और 6 दिसंबर 2025 को गुजरात के केवड़िया में अपनी 33वीं क्वार्टरली कॉन्फ्रेंस की. दो दिन की इस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता ED डायरेक्टर राहुल नवीन ने की. इसमें सभी स्पेशल डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर, जॉइंट डायरेक्टर और लीगल एडवाइजर्स शामिल हुए.

    कॉन्फ्रेंस में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर रहा कि जांच को और तेज किया जाए और केस समय पर पूरे हो. इसके लिए टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की बात कही गई. ED अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस, फॉरेंसिक टूल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस और डिजिटल रिसोर्सेज की मदद से जटिल आर्थिक अपराधों की जांच और मजबूत होगी.

    कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि ऐसे मामलों की पहचान जरूरी है जो देश की फाइनेंशियल सिस्टम और नेशनल सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा बनते है. मनी लॉन्ड्रिंग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, ड्रग तस्करी जैसे मामलों में नई क्राइम टेक्निक्स को समझकर सबूत जुटाने की जरूरत बताई गई. इसके अलावा FDI में गड़बड़ी, GDR का गलत इस्तेमाल और क्रिप्टो के जरिए विदेशों में पैसे भेजने के तरीकों पर भी चर्चा हुई.

    एक बड़ा मुद्दा उन आरोपियों को पकड़ने का भी रहा जो जांच या ट्रायल से बचकर भाग जाते है. कॉन्फ्रेंस में प्रोकीलेम्ड ऑफेंडर की कार्रवाई, फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर (FEO) एक्ट, रेड नोटिस और एक्सट्राडिशन जैसी कानूनी प्रक्रियाओं का सही इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया. ED डायरेक्टर ने कहा कि जांच सख्त हो लेकिन लोगों के अधिकारों का भी ख्याल रखा जाए.

    कॉन्फ्रेंस में Insolvency and Bankruptcy Code से जुड़े मुद्दों पर भी बात हुई. कई मामलों में IBC का गलत इस्तेमाल करके बैकडोर से एसेट खरीद, कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स को प्रभावित करने और छिपे हुए मुनाफे के सौदों के उदाहरण सामने आए. ED ने साफ कहा कि ऐसे मामलों की गहराई से जांच होगी और IBC के नियम कड़ाई से लागू किए जाएंगे.

    एक सेशन BAANKNET प्लेटफॉर्म पर भी हुआ, जिसके जरिए जब्त की गई संपत्तियों की नीलामी पारदर्शी तरीके से की जा सकती है. इस सिस्टम को आगे औपचारिक तौर पर इस्तेमाल करने के लिए MoU की संभावना पर भी बात हुई.

    टेक्नोलॉजी-ड्रिवन इन्वेस्टिगेशन- साइबर फॉरेंसिक टूल्स और डिजिटल एनालिसिस को मजबूत करने पर जोर, पुराने FERA मामलों का निपटारा- लंबित मामलों को जल्दी खत्म करने की तैयारी, विदेशों में छिपी संपत्तियों पर कार्रवाई- ब्लैक मनी एक्ट और FEMA के तहत कड़ी कार्रवाई की रणनीति, एडमिनिस्ट्रेटिव मुद्दे- CISF की तैनाती, वाहनों का आवंटन, लीगल एडवाइजर की भर्ती आदि पर चर्चा की गई. मीटिंग के अंत में तय किया गया कि सभी एजेंसियों में बेहतर तालमेल बनाया जाएगा. जांच में आधुनिक तकनीक अपनाई जाएगी और आर्थिक अपराधों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी.

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