छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाबेड़ा थाना क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव में शव दफनाने को लेकर हुई धार्मिक हिंसा ने पूरे बस्तर संभाग में तनाव का माहौल बना दिया है. इसी विवाद को लेकर सर्व आदिवासी समाज और हिंदू संगठनों ने आक्रोश जताते हुए बुधवार (24 दिसंबर) को छत्तीसगढ़ बंद का ऐलान किया है, जिसका असर सुबह से ही 7 जिलो में देखने को मिल रहा है, बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में सुबह से ही सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी और विभिन्न समाजों के प्रमुख जगदलपुर शहर में भ्रमण कर बंद का जायजा लेते नजर आए, बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा इस बंद को समर्थन मिलने से सभी मुख्य बाजार, शहर के दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठाने बंद रहे.
दरअसल क्रिसमस के एक दिन पहले हिंदू संगठनों के द्वारा बंद बुलाए जाने से व्यापारियो के एक वर्ग ने काफी नाराजगी जताई, खासकर जगदलपुर के मेन रोड क्षेत्र में कुछ व्यापारियों ने क्रिसमस त्यौहार से ठीक एक दिन पहले बंद कराए जाने पर आपत्ति जताई, व्यापारियों का कहना था कि क्रिसमस त्यौहार के चलते इस समय व्यापार चरम पर रहता है और बंद से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, इसी मुद्दे को लेकर मेन रोड में कुछ समय के लिए तनाव और बवाल की स्थिति भी बनी. हालांकि बाद में मौके पर पहुंची पुलिस के द्वारा दोनों पक्षों समझाइश देने के बाद व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और मामला शांत हुआ.....
बिलासपुर में मंदिर परिसर में क्रिसमस पार्टी के नाम पर नॉनवेज परोसने को लेकर बड़ा बवाल मच गया है. हिंदू संगठनों ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताते हुए जोरदार विरोध किया. मामला सिरगिट्टी थाना क्षेत्र के गणेश नगर स्थित शिव मंदिर परिसर का है. और भी कई राज्यों के कुछ शहरों में क्रिसमस मनाए जाने का विरोध हो रहा है.
सांता क्लॉज को दिखाएं, एक लाख रुपये पाएं- हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति का आवाहन. इनकी मांग है कि अंधश्रद्धा समिति इस पर कारवाई करवाए. हिंदू राष्ट्रीय समन्वय समिति का बयान कहा, 'क्रिसमस नजदीक आते ही भारत के अधिकांश शहरों में जगह-जगह सांता क्लॉज की टोपी बेचने वाले बड़ी संख्या में दिखाई देने लगते हैं. स्वयं को उन्नत विचारों वाला, सर्वधर्म समभावी और प्रगतिशील कहने वाले कुछ हिंदू लोग भी अपने बच्चों को यह कहानियां सुनाते हैं कि सांता क्लॉज रात में बच्चों के सो जाने के बाद आता है और उनके लिए उपहार छोड़ जाता है. इस तरह वे अपने ही बच्चों को एक काल्पनिक कथा के माध्यम से भ्रमित कर सांस्कृतिक रूप से भटका रहे हैं. '
हरिद्वार के होटल भागीरथी में होने वाला क्रिसमस कार्यक्रम प्रबंधन ने रद्द कर दिया है. 24 दिसंबर को होने वाला क्रिसमस कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. मंगलवार (23 दिसंबर, 2025) को होटल प्रबंधन ने पत्रकारवार्ता कर कार्यक्रम रद्द करने की घोषणा की. होटल का संचालन कर रही अतिशय कंपनी के जीएम नवनीत सिंह ने बताया कि कुछ संगठनों द्वारा आपत्ति किए जाने के बाद कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है. अब केवल भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि किसी की भावनाओं को आहत करने का प्रबंधन का कोई इरादा नहीं था. क्रिसमस के अवसर पर हरिद्वार और हिंदू संस्कृति के विपरीत किसी कार्यक्रम का आयोजन नही किया जा रहा था. केवल गंगा पूजन, आरती और बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना था. उसे भी अब रद्द कर दिया गया है. अब केवल गंगा पूजन का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि होटल में आने वाले सभी अतिथियों का स्वागत हिंदू रीति से किया जाता है. होटल में मंदिर भी स्थापित किया गया है और अतिथियों को गंगा पूजन की जानकारी भी दी जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुरूप ही होटल का संचालन किया जा रहा है. नवनीत सिंह ने कहा कि गंगा हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है. धर्मनगरी की मान मर्यादाओं का पूरा सम्मान किया जाता है. पत्रकारवार्ता के दौरान सिक्योरिटी मैनेजर शुभम पवार भी मौजूद रहे.
हरिद्वार में गंगा किनारे मनाए जाने वाले क्रिसमस का विरोध होना शुरू हो गया है. तीर्थ पुरोहितों ने आयोजकों को चेतावनी देते हुए कहा कि इसे किसी भी तरफ से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग 25 दिसंबर को गंगा किनारे क्रिसमस का आयोजन कर रहा है. उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा भागीरथी होटल में क्रिसमस के आयोजन को सनातन के विरोध में बताते हुए इसका विरोध शुरू कर दिया है.
दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके की मार्केट में कल शाम दर्जन भर महिलाएं और बच्चे क्रिसमस त्यौहार से पहले सांता क्लॉज की लाल टोपी पहने क्रिसमस त्यौहार के बारे लिखी जानकारी का पंपलेट बांट रही थीं, तभी मार्केट में मौजूद लोगों ने इसपर आपत्ति जताई और महिलाओं को मार्केट से जाने के लिए बोल दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
एबीपी न्यूज़ उसी मार्केट में पहुंचा जहां बीती कल शाम साढ़े 7 बजे के करीब कुछ महिलाएं और बच्चे 'मैं क्रिसमस क्यों मनाऊं?' के शीर्षक वाले पंपलेट को मार्केट के दुकानदारों और राह चलते दुकानदारों को बांट रहे थे. तभी कुछ लोगों ने इन्हें ऐसा करने से मना किया और मार्केट से भगा दिया. जिन लोगों ने इस पर आपत्ति जताई उन्होंने एबीपी न्यूज को बताया कि वो लोग सड़क को जाम करके पंपलेट और गाना 'मेरा यीशु, मेरा यीशु' बजा रहे थे. जिसकी प्रशासन से इजाजत नहीं ली गई थी और इसकी वजह से सड़क पर जाम लग गया इसलिए इन्हें यहां से जाने के लिए बोल दिया.
लोगों ने ये भी माना कि महिलाओं को ये भी कहा गया कि अपने घर पर क्रिसमस मनाएं, क्योंकि इसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि हम भी अगर शोभायात्रा निकालते हैं तो पहले पुलिस प्रशासन से इजाजत लेते हैं. हमने कभी पंपलेट नहीं बांटे कि दिवाली क्यों मनाई जाए? शादी, या बारात में भी जब सड़कें रोकी जाती हैं तो वो एक बार होती है लेकिन क्रिसमस तो हर साल ही आता है और ये महिलाएं भी यहां इस इलाके की नहीं थीं, कहीं बाहर से यहां आई हुई थीं.
मध्य प्रदेश में कटंगा रोड स्थित हवाबाग कॉलेज के पीछे नेत्रहीन छात्रों का धर्मांतरण कराए जाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. इस बीच जबलपुर महानगर की भाजपा उपाध्यक्ष अंजू भार्गव का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें वो नेत्रहीन छात्रा से अभद्रता करती नजर आ रही हैं.
कुछ हिंदूवादी संगठनों को सूचना मिली थी कि यहां पर नेत्रहीन बच्चों का धर्मांतरण किया जा रहा है. सूचना पाकर हिंदू संगठन कार्यकर्ताओं के साथ पहुंची भाजपा नेता अंजू भार्गव ने चल रहे पूरे कार्यक्रम को रुकवा कर हंगामा शुरू कर दिया. वहीं क्रिश्चियन समुदाय के इस कार्यक्रम में पहुंचे नेत्रहीन बच्चों का कहना है कि क्रिसमस के अवसर पर ईसाई समाज के एक संगठन द्वारा अंधमूक चौराहा स्थित छात्रावास से बच्चों को भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था. जिसके चलते नेत्रहीन छात्र-छात्राएं वहां पहुंचे हुए थे.
खाने के पहले वहां मसीह समाज की प्रार्थना की जा रही थी. तभी धर्मातरण की सूचना मिलने पर हिंदू रक्षा दल के विकास कुमार खरे और अन्य पदाधिकारियों के साथ पुलिस पहुंच गई, जिसके बाद सभी छात्र उस भवन से बाहर आ गए जहां उन्होंने एकत्रित कर प्रार्थना की जा रही थी. हंगामे की सूचना पर भाजपा नेता भी मौके पर पहुंचे, उन्होंने बताया कि यहां एक खंडहर नुमा भवन में कुछ आयोजन चल रहा था. यहां अक्सर बच्चों को लाया जाता है. इधर, मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी ने बताया कि बच्चों को कंटगा हवाबाग काॅलेज के पीछे स्थित चर्च में लाया गया था. उन्हें ईसाइयों के चल रहे त्योहार के चलते खाना-पीना कराने लाया गया था. उन्होंने बताया कि फिलहाल धर्मांतरण जैसी बात तो सामने नहीं आई है, बच्चों का कथन लिया जा रहा है.
मध्यप्रदेश के गोरखपुर स्थित जॉनसन स्कूल में उस वक्त हंगामा मच गया जब स्कूल कैंपस के पीछे स्थित चर्च में धर्मांतरण की खबर के चलते हिंदू संगठनों ने हंगामा खड़ा कर दिया. हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि क्रिसमस के कार्यक्रम के नाम पर शहर के अलग-अलग छात्रावासों से करीब 70 दिव्यांग और नेत्रहीन छात्र-छात्राओं को बुलाया गया था और प्रार्थना की आड़ में इन मासूम बच्चों का धर्मांतरण कराने की कोशिश की जा रही थी. जैसे ही इसकी भनक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं को लगी, वे मौके पर पहुंच गए और भारी हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा इतना बढ़ा कि चर्च के कर्मचारियों और हिंदू संगठनों के बीच देखते ही देखते मारपीट और हाथापाई शुरू हो गई.
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