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    Expert View: बांग्लादेश में क्यों बढ़ रहा है एंटी-हिंदू और एंटी-इंडिया सेंटिमेंट? सामने आया बड़ा कारण, जानें एक्सपर्ट् ने क्या बताया

    2 days ago

    बांग्लादेश में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद से ही तनाव का माहौल है. इसको लेकर एबीपी न्यूज ने विदेश मामलों के विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव से बात की. इस दौरान संजीव श्रीवास्तव ने अपने विचार रखें. उनसे पूछा गया कि  पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश से लगातार ऐसी खबरें सामने आ रही हैं इस पर आप क्या कहेंगे. उन्होंने कहा कि यह माहौल किसी एक घटना की वजह से पैदा नहीं हुआ लगता, बल्कि इसके पीछे लंबे समय से तैयार की जा रही एक वैचारिक और राजनीतिक जमीन दिखाई देती है.

    संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि देश में धार्मिक पहचान को राजनीति का हथियार बनाया जा रहा है, ताकि समाज को बांटकर सत्ता समीकरण बदले जा सकें. भारत विरोध को इस रणनीति का अहम हिस्सा बनाया गया है, क्योंकि इससे भावनात्मक मुद्दा खड़ा करना आसान हो जाता है.

    कट्टरपंथी संगठनों की बढ़ती सक्रियता

    बांग्लादेश में पहले से मौजूद कुछ कट्टरपंथी इस्लामिस्ट संगठन अब ज्यादा खुलकर सामने आ रहे हैं. इनका मकसद केवल धार्मिक प्रभाव बढ़ाना नहीं, बल्कि राजनीतिक ताकत हासिल करना भी है. हिंदू समुदाय को कमजोर कड़ी मानकर उन पर दबाव बनाना और भारत को “बाहरी दुश्मन” के रूप में पेश करना इस पूरी रणनीति का हिस्सा है. इस तरह का नैरेटिव आम लोगों के बीच डर और गुस्सा पैदा करता है, जिससे कट्टर सोच को समर्थन मिलना आसान हो जाता है.

    5 अगस्त 2024 के बाद बदली राजनीति की दिशा

    विदेश मामलों के एक्सपर्ट्स ने कहा, '5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश की राजनीति ने अचानक नई करवट ले ली. अवामी लीग पर रोक, उसके नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और सत्ता संतुलन में एकतरफा बदलाव ने यह संकेत दिया कि यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक पुनर्गठन की शुरुआत थी. इसी दौर में देश के भीतर अस्थिरता बढ़ी और कट्टरपंथी आवाज़ों को ज्यादा जगह मिलने लगी.'

    अंतरिम सरकार पर उठते गंभीर सवाल

    अंतरिम सरकार का गठन कानून-व्यवस्था संभालने और निष्पक्ष चुनाव कराने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन व्यवहार में तस्वीर कुछ और ही नजर आती है. सरकार ने ऐसे फैसले लिए जो सीधे विदेश नीति और वैचारिक दिशा से जुड़े हुए थे. पाकिस्तान के साथ रिश्तों में अचानक गर्मजोशी दिखाना, कट्टरपंथी संगठनों पर लगी पाबंदियों को ढीला करना और धार्मिक राजनीति को नजरअंदाज करना, इन सबने सरकार की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    क्या पाकिस्तान और बाहरी ताकतें भी भूमिका निभा रही हैं?

    एक्पर्ट्स का मानना है कि बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल केवल घरेलू राजनीति का नतीजा नहीं है. पाकिस्तान का डीप-स्टेट ढांचा और उसकी खुफिया एजेंसी लंबे समय से क्षेत्र में भारत के प्रभाव को चुनौती देने की कोशिश करती रही है. इसके अलावा कुछ वैश्विक ताकतों के लिए भी दक्षिण एशिया में अस्थिरता पैदा करना रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. बांग्लादेश इस भू-राजनीतिक खेल का नया मैदान बनता दिख रहा है.

    नई राजनीतिक ताकतें और भारत विरोध की राजनीति

    हाल के समय में उभरी कुछ नई पार्टियां भारत को खुलकर निशाने पर ले रही हैं. भारत के खिलाफ बयान देकर ये संगठन खुद को राष्ट्रवादी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि असल उद्देश्य घरेलू समर्थन जुटाना है.भारत विरोध एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिससे बिना ठोस नीतियों के भी राजनीतिक पहचान बनाई जा सकती है.

    सबसे ज्यादा खतरे में कौन है?

    इस पूरे घटनाक्रम का सबसे गंभीर असर बांग्लादेश के हिंदू समुदाय पर पड़ा है. मंदिरों पर हमले, घरों में तोड़फोड़ और लगातार डर का माहौल इस बात का संकेत है कि जब राज्य कमजोर होता है और कट्टरपंथियों को खुली छूट मिलती है, तो सबसे पहले अल्पसंख्यक ही निशाने पर आते हैं. अगर यह रुझान जारी रहा, तो यह न सिर्फ बांग्लादेश की सामाजिक एकता के लिए खतरा होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर भी असर डालेगा.

    दीपू चंद्र दास की दर्दनाक मौत

    बांग्लादेश में 18 दिसंबर को कपड़े की एक फैक्ट्री में काम करने वाले 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास को मैमनसिंह के बालुका में ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और उसके शव को आग लगा दी. पुलिस के मुताबिक, दास को पहले फैक्ट्री के बाहर भीड़ ने पीटा और फिर एक पेड़ से लटका दिया. भीड़ ने उसके शव को ढाका-मैमनसिंह राजमार्ग के पास छोड़ दिया और बाद में उसे आग लगा दी. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'एक हिंदू आदमी पर बेरहमी से हमला किया गया और उसे मार डाला गया. हम अपनी सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस हत्या के पीछे जो लोग हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.'

    ये भी पढ़ें: हांसखाली गैंगरेप केस: नाबालिग की हत्या के दोषियों को मिली सजा, TMC नेता समेत 3 को उम्रकैद

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