Search

    Language Settings
    Select Website Language

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policy, and Terms of Service.

    dailyadda

    Cancer Risk In Women: इमिशन वाले ईंधन बन रहे महिलाओं में कैंसर का कारण, चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने

    1 week ago

    Lung Cancer In Non-Smoking Women: कैंसर के मामले पिछले कुछ सालों में तेजी के साथ बढ़ें हैं. पहले जो  फेफड़ों का कैंसर को धूम्रपान करने वालों की बीमारी कहा जाता था, अब यह ऐसा नहीं रह गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के महानगरों में नॉन-स्मोकिंग महिलाओं में इसके मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.  दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि यह बदलाव अब उनके क्लिनिक में भी साफ नजर आने लगा है. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

    सरकार ने क्या कहा?

    लोकसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ICMR–नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 1982 से 2016 के बीच महानगरों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. खास बात यह है कि महिलाओं में अब एडेनोकार्सिनोमा फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम प्रकार बन चुका है. यह कैंसर ग्लैंड से शुरू होता है और नॉन-स्मोकर्स में सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के करीब 53 प्रतिशत मामले इसी प्रकार के हैं, जो बीमारी के पैटर्न में बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है.

    डीजल और केरोसिन के धुएं 

    TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव के बारे में  पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन और सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. जी.सी. खिलनानी ने बताया कि पहले जहां 80 से 90 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर मरीज स्मोकर्स होते थे, वहीं अब दुनियाभर में 15 से 20 प्रतिशत मरीज नॉन-स्मोकर हैं. भारत में यह आंकड़ा इससे भी ज्यादा है. डॉ. खिलनानी के अनुसार, डीजल के धुएं को फेफड़ों के कैंसर का साबित कारण माना गया है, जबकि केरोसिन से निकलने वाला धुआं भी जोखिम बढ़ाता है। इसके अलावा बायोमास ईंधन, पैसिव स्मोकिंग और कुल मिलाकर वायु प्रदूषण इस खतरे को और बढ़ाते हैं.

    महिलाओं में कैंसर 

    अन्य एक्सपर्ट का भी मानना है कि यह एक साइलेंट एपिडेमियोलॉजिकल शिफ्ट को दर्शाता है. एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर डायरेक्टर (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) डॉ. कपिल कुमार कहते हैं कि नॉन-स्मोकिंग महिलाओं में एडेनोकार्सिनोमा अब प्रमुख फेफड़ों का कैंसर बन गया है और इसके पीछे तंबाकू से ज्यादा पर्यावरणीय और ऑर्गेनिक कारण जिम्मेदार हैं. उनका कहना है कि शहरी महिलाएं लगातार जहरीले प्रदूषण के संपर्क में रहती हैं, लेकिन फेफड़ों के कैंसर को अब भी केवल स्मोकिंग से जोड़कर देखा जाता है. इसी वजह से शुरुआती लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है और बीमारी का पता तब चलता है, जब वह एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है.

    इसे भी पढ़ें- Winter Joint Pain: सर्दियां शुरू होते ही क्यों होने लगता है जोड़ों में दर्द? डॉक्टर्स से समझें पूरी बात

    Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

    Click here to Read More
    Previous Article
    Lemon Salt Water Side Effects: सुबह में नींबू-पानी पीना सेहत के लिए ठीक है या नहीं, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर?
    Next Article
    धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन क्यों है जरूरी? जानें इसके फायदे और सही इस्तेमाल

    Related लाइफस्टाइल Updates:

    Are you sure? You want to delete this comment..! Remove Cancel

    Comments (0)

      Leave a comment