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    34 साल का दिल्ली का युवक बना AI ट्रेनर! हर घंटे की कमाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

    1 week ago

    AI Trainer: जहां आज के समय में साइड इनकम को अक्सर जल्दी पैसा कमाने या करियर बदलने से जोड़कर देखा जाता है, वहीं दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले 34 साल के उत्कर्ष अमिताभ ने एक बिल्कुल अलग रास्ता चुना. अपनी खुद की कंपनी चलाने और मजबूत शैक्षणिक व कॉर्पोरेट पृष्ठभूमि होने के बावजूद उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल्स को ट्रेन करने का काम शुरू किया. खास बात यह है कि उन्होंने यह काम पैसों की मजबूरी में नहीं बल्कि गहरी रुचि के चलते अपनाया.

    यूके में रहकर हर घंटे 18,000 रुपये की कमाई

    CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल यूनाइटेड किंगडम में रह रहे उत्कर्ष अमिताभ माइक्रो1 नाम की AI ट्रेनिंग और डेटा लेबलिंग स्टार्टअप के साथ फ्रीलांस तौर पर जुड़े हैं. इस काम के बदले उन्हें लगभग 18,000 रुपये प्रति घंटा की कमाई होती है. जनवरी 2025 में शुरू हुआ यह असाइनमेंट एक साल से भी कम समय में बोनस समेत करीब 2.6 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इसके बावजूद उत्कर्ष साफ कहते हैं कि पैसे ने उन्हें कभी आकर्षित नहीं किया.

    नौकरी नहीं, दिलचस्पी ने दिलाया मौका

    CNBC Make It से बातचीत में उत्कर्ष ने बताया कि वे किसी नई नौकरी की तलाश में नहीं थे. उन्हें इस अवसर की ओर खींचने वाली चीज थी काम की प्रकृति. बड़े स्तर के AI सिस्टम को ट्रेन करना उनके उस शोध से जुड़ा हुआ था जिसमें वे तकनीक, मानव क्षमता और AI के दौर में निर्णय लेने जैसे विषयों पर पहले से सोचते और लिखते रहे हैं. उनके लिए यह काम अतिरिक्त बोझ नहीं बल्कि उनकी सोच का ही विस्तार बन गया.

    पढ़ाई से लेकर माइक्रोसॉफ्ट तक का सफर

    उत्कर्ष की शैक्षणिक और प्रोफेशनल यात्रा इस काम के लिए उन्हें स्वाभाविक रूप से तैयार करती है. उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मॉरल फिलॉसफी में मास्टर्स किया. इसके बाद उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट में करीब छह साल तक क्लाउड और AI पार्टनरशिप से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया. इस दौरान उन्होंने इस विषय पर रिसर्च भी पब्लिश की कि AI इंसानी सफलता और संभावनाओं को कैसे नए सिरे से परिभाषित कर सकता है. आज वे Network Capital नाम के ग्लोबल मेंटरशिप प्लेटफॉर्म के फाउंडर और CEO हैं.

    रात की शांति में होता है AI ट्रेनिंग का काम

    AI मॉडल्स को ट्रेन करने का काम उत्कर्ष अक्सर रात में करते हैं, जब उनकी एक साल की बेटी सो जाती है. आमतौर पर वे रोज करीब साढ़े तीन घंटे इस काम में लगाते हैं. इसमें जटिल बिजनेस सिचुएशंस के जरिए AI मॉडल्स को परखना, उनकी गलत समझ को पकड़ना और बेहतर रिज़निंग के लिए प्रॉम्प्ट्स को दोबारा डिजाइन करना शामिल होता है. यह कोई आसान प्रॉम्प्ट लिखने का काम नहीं बल्कि एक-एक समस्या को घंटों में तोड़कर समझने की प्रक्रिया है.

    माइक्रो1 और एक्सपर्ट नेटवर्क की ताकत

    माइक्रो1 की शुरुआत साल 2022 में हुई थी और आज इसके साथ दुनियाभर के 20 लाख से ज्यादा एक्सपर्ट जुड़े हुए हैं. ये विशेषज्ञ बड़े AI लैब्स और Fortune 100 कंपनियों के लिए AI सिस्टम को ट्रेन और बेहतर बनाने में मदद करते हैं. करीब 500 मिलियन डॉलर के वैल्यूएशन वाली यह कंपनी मानती है कि जैसे-जैसे AI आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे हाई-क्वालिटी और विशेषज्ञ डेटा की भूमिका और भी अहम होती जा रही है.

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