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    टैरिफ का प्रेशर नहीं आएगा काम! मोदी-पुतिन की मीटिंग से ट्रंप को क्लीयर मैसेज

    1 day ago

    23वीं भारत-रूस समिट ऐसे समय पर आयोजित हुई, जब दुनियाभर में तनाव चरम पर है. हाल ही में अमेरिका ने भारत पर रूस से कच्चे तेल की खरीद रोकने का दबाव बनाया था, जिसके लिए भारतीय सामानों के निर्यात पर भारी टैरिफ भी लगा दिया था. हालांकि भारत ने इसका पुरजोर विरोध किया. यहां तक कि रूस ने भी इसमें भारत का साथ देते हुए कहा था कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और उसे अपना दोस्त चुनने का पूरा अधिकार है. ट्रंप के टैरिफ के दबाव के बीच हुए भारत-रूस समिट ने एक बार फिर क्लीयर कर दिया है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी गहरे हैं और वो किसी भी दबाव से नहीं झुकने वाले. हालांकि पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस समिट के दौरान किसी भी तीसरे देश का नाम नहीं लिया, लेकिन इससे यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पश्चिमी देशों को सीधा संदेश मिल गया है. 
      
    अमेरिका ने कई मौकों पर भारत पर रूस के साथ अपने ऊर्जा और रक्षा सहयोग को कम करने का दबाव डाला है, लेकिन हाल ही में जो ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैक्स लगाया, वो भारत की विदेश नीति के विकल्पों को नया आकार देने का एक प्रयास था क्योंकि अमेरिका को लगता था कि इससे रूस से भारत का कच्चा तेल खरीदना कम हो ही जाएगा. हालांकि ये सिर्फ अमेरिका की कोरी कल्पना ही रह गईं क्योंकि भारत ने दुनिया के कई मंचों से बार-बार कहा कि भारत को पक्ष चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. अब भारत और रूस के बीच हुए इस शिखर सम्मेलन की टाइमिंग पश्चिमी देशों को सीधे संदेश है. 

    पुतिन भी कर चुके थे ट्रंप की इस नीति की आलोचना 

    रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अमेरिका की प्रतिबंध वाली नीति की स्पष्ट रूप से कई बार आलोचना कर चुके हैं. इस समिट से एक दिन पहले ही उनका एक इंटरव्यू प्रसारित हुआ था, जिसमें उन्होंने भारत के रूसी तेल खरीद को रोकने के अमेरिकी प्रयासों पर सवाल उठाया था. पुतिन ने कहा था कि अगर अमेरिका को हमारा ईंधन खरीदने का अधिकार है तो भारत को यही विशेषाधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए? उन्होंने अमेरिका के तर्क के सीधी चुनौती दी और इस मुद्दे पर खुलकर डिबेट करने की भी पेशकश कर दी. पुतिन के इस कमेंट ने एक बार स्पष्ट कर दिया कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हित और बहुध्रुवीयता पर आधारित है ना कि गुटीय गठबंधन पर. 
     
    भारत को बिना रोक-टोक के तेल सप्लाई करेगा रूस

    ऊर्जा एक ऐसा क्षेत्र है, जो भारत और रूस के आर्थिक संबंधों की रीढ़ बना हुआ है. पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन ने इस समिट का इस्तेमाल इसके दीर्घकालिक रणनीतिक महत्व को उजागर करने के लिए किया. अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंधों ने भुगतान और रसद चैनलों को जरूर जटिल बना दिया है, लेकिन इन वजहों से भारत की जरूरतों या उन्हें पूरा करने की रूस की इच्छा को नहीं बदला है. 

    पीएम मोदी के साथ बातचीत के बाद साझा बयान में व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट कहा कि रूस बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन की बिना किसी रोक-टोक आपूर्ति जारी रखेगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस तेल, गैस और कोयले का एक भरोसेमंद स्रोत बना हुआ है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक अनिवार्य संसाधन है. रूसी राष्ट्रपति की ये प्रतिबद्धता बताती है कि अमेरिका जो दावा करता है कि भारत, यूक्रेन युद्ध में रूस के लिए फाइनेंसर का का काम कर रहा है, वो पूरी तरह गलत और निराधार है.  इस ज्वाइंट स्टेटमेंट ने एक बार फिर दोहराया कि रूस को अलग-थलग करने या भारत को धमकाने के प्रयास सफल नहीं होंगे.

    कितना है भारत-रूस के बीच कारोबार?

    भारत और रूस के बीच साल 2021 में करीब 13 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था, जोकि 2024-25 में बढ़कर 69 मिलियन डॉलर का हो गया. इसकी वजह ये है कि साल 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर प्रतिबंध लग गया और यूरोपीय देशों ने मॉस्को से तेल खरीदना बंद कर दिया. जिसके बाद रूस ने भारत और चीन को कच्चे तेल में काफी रियायतें दीं और भारत ने खूब कच्चा तेल आयात किया. इस समिट के बाद ऐलान हुआ है कि दोनों देश आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर यानी 9 लाख करोड़ रुपये तक लेकर जाएंगे. अभी दोनों देशों के बीच एक साल में 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का सालाना व्यापार होता है, जिनमें भारत का घाटा बहुत ज्यादा है.  

    मोदी-पुतिन की बैठक से भारत को क्या मिला?

    भारत-रूस के ज्वाइंट स्टेटमेंट में ऐलान हुआ कि रूस अपने देश में भारत के लोगों को काम करने के नए मौके देगा. रूस क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश है लेकिन उसकी आबादी सिर्फ 15 करोड़ है और अब वहां कामगारों का बड़ा संकट खड़ा हो गया है. यही वजह है कि रूस को भारतीय कामगारों की जरूरत है. रूस एक साल में भारत के करीब 10 लाख लोगों को नौकरी देने के लिए तैयार है. इसके अलावा हथियारों को लेकर बड़ा ऐलान हुआ कि भारत, रूस से सिर्फ हथियार नहीं खरीदेगा बल्कि दोनों देश साथ मिलकर इन हथियारों का निर्माण भी करेंगे.

    भारत-रूस के बीच स्पेस सेक्टर को लेकर डील

    भारत और रूस के बीच स्पेस सेक्टर को लेकर भी समझौता हुआ है, जिसके तहत दोनों देश अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के मिशन पर साथ काम करेंगे और नेविगेशन, डीप स्पेस और रॉकेट इंजन के विकास में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा. आतंकवाद के खिलाफ भी दोनों देशों के बीच सहमति बनी है और राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि वो आतंकी फंडिंग को रोकने और उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत के साथ मिल कर काम करेंगे.  

    इसके अलावा महत्वपूर्ण फैसलों में ये एक ये भी है कि भारत और रूस के बीच इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बनाया जाएगा और ये वो रास्ता होगा, जहां से दोनों देश समय और पैसे की बचत करके एक दूसरे के साथ व्यापार कर सकेंगे. ये कॉरिडोर मुंबई को ईरान के चाबहार पोर्ट से जोड़ेगा. इसके बाद चाबहार पोर्ट से सड़क के रास्ते ये ईरान के उत्तरी छोर पर पहुंचेगा और वहां से समुद्र के रास्ते ये रूस को इस कॉरिडोर से जोड़ेगा.

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